भारत सर्वधर्म और भिन्न भिन्न वर्गीय व भाषायी लोगों का देश है। जिसे अंग्रेजी हुकूमत से आजाद कराने के लिए हिंदू, मुस्लिम, सिख, इसाई सभी धर्म के लोगों ने अपना बलिदान दिया। देश के महापुरूषों जैसे महात्मा गांधी, बाबा साहेब डा. भीमराव अंडेबकर, पंडित जवाहर लाल नेहरू, शहीद भगत सिंह, राजगुरू, चंद्रशेखर आजाद, अशफाक उल्ला खान, सुभाष चंद्र बोस मौलाना अबुल कलाम आजाद ने अपनी कुर्बानियां दी और 15 अगस्त 1947 को भारत आजाद हो गया। ब्रिटिश हुकूमत से आजादी तो मिल गई, लेकिन आज भी विकासशील देशों में गिना जाने वाला भारत विकसित न हो सका। देश के विभिन्न प्रांतों में आपसी फूट के कारण आज भारत विकास के क्षेत्र में पिछड़ रहा है। बीते दिनों गुजरात से उत्तर भारतीयों को निकालने का जो मंजर सामने आया, उससे तो यही लगता है कि क्षेत्रवाद की राजनीति पनपने लगी है। स्वर्णिम भारत का सपने संजोये युवा भी आज खुद को उपेक्षित महसूस कर रहे हैं। राजनीतिज्ञों की आपसी खींचतान के कारण उंच-नीच, जात-पात के अंकुर फूटने लगे हैं। आज देश में कभी सवर्णों और दलितों के बीच हिंसा, तो कभी गाय के नाम पर हिंसा से एकता की माला टूटने लगी है। संसद में देश के विकास को लेकर योजनाओं पर कम और धार्मिक क्रियाकलापों पर ज्यादा बहस होने लगी है। महिलाओं, बच्चियों से बलात्कार, यूपी में बेलगाम पुलिस का तांडव, मध्य प्रदेश में किसानों का आर्थिक शोषण, हरियाणा जाट आरक्षण आंदोलन इसके परिणति है। आज की राजनीति पीत पत्रकारिता की तरह हो गई है। जिसकी तस्वीर बदलने के लिए जरूरी है कि राजनीतिज्ञ लोग एक-दूसरे पर कींचड़ उछालने के बजाय अंग्रेजी हुकूमत से आजाद भारत को विकासशील नहीं विकसित दर्जे का बनाने के लिए काम किया जाए।
यामीन अंसारी-स्वतंत्र लेखक।
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